• Awards
  • Country Information
  • Culture & Heritage
  • Geography
  • History
  • National Identity
  • Religion
Monday, January 25, 2021
  • Login
KYC
  • Awards
    • Bharat Ratna
    • Civilian Awards
      • Padma Bhushan
      • Padma Shri
      • Padma Vibhushan
    • Gallantry Awards
    • Nobel Laureates
    • Sahitya Akademi Awards
    • Sangeet Natak Academy
  • Country Information
    • Chief Election Commissioners of India
    • Chief Justices of India
    • Chiefs of Air Staff
    • Chiefs of Army Staff
    • Chiefs of Naval Staff
    • Commanders In Chief
    • Economy
    • Presidents of India
    • Prime Ministers of India
    • Vice-Presidents of India
  • Culture & Heritage
    • Arts & Literature
    • Languages
    • Festivals
    • Religion
    • Monuments
    • National Holidays
  • History
    • Ancient History
    • Freedom Struggle
    • Medieval History
  • Geography
    • Indian Rivers
    • States & UTs
    • Districts
    • Roads
  • Biographies
    • Actors
    • Artists
    • Entrepreneurs
    • Humanitarians
    • Inspirational people
    • Military
    • Musicians
    • Poets
    • Politicians
    • Religious leaders
    • Royalty
No Result
View All Result
  • Awards
    • Bharat Ratna
    • Civilian Awards
      • Padma Bhushan
      • Padma Shri
      • Padma Vibhushan
    • Gallantry Awards
    • Nobel Laureates
    • Sahitya Akademi Awards
    • Sangeet Natak Academy
  • Country Information
    • Chief Election Commissioners of India
    • Chief Justices of India
    • Chiefs of Air Staff
    • Chiefs of Army Staff
    • Chiefs of Naval Staff
    • Commanders In Chief
    • Economy
    • Presidents of India
    • Prime Ministers of India
    • Vice-Presidents of India
  • Culture & Heritage
    • Arts & Literature
    • Languages
    • Festivals
    • Religion
    • Monuments
    • National Holidays
  • History
    • Ancient History
    • Freedom Struggle
    • Medieval History
  • Geography
    • Indian Rivers
    • States & UTs
    • Districts
    • Roads
  • Biographies
    • Actors
    • Artists
    • Entrepreneurs
    • Humanitarians
    • Inspirational people
    • Military
    • Musicians
    • Poets
    • Politicians
    • Religious leaders
    • Royalty
No Result
View All Result
KYC
No Result
View All Result
Home Biographies

महात्मा गांधी

August 9, 2019
in Biographies, Freedom Fighter, Humanitarians, Inspirational people, Politicians, Socialist
0
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

जन्म: 2 अक्टूबर, 1869, पोरबंदर, काठियावाड़ एजेंसी (अब गुजरात)

मृत्यु : 30 जनवरी 1948, दिल्ली

कार्य/उपलब्धियां: स्वतंत्रता आन्दोलन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

महात्मा गांधी के नाम से मशहूर मोहनदास करमचंद गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक नेता थे। सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धान्तो पर चलकर उन्होंने भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके इन सिद्धांतों ने पूरी दुनिया में लोगों को नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें भारत का राष्ट्रपिता भी कहा जाता है। सुभाष चन्द्र बोस ने वर्ष 1944 में रंगून रेडियो से गान्धी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित किया था।महात्मा गाँधी समुच्च मानव जाति के लिए मिशाल हैं। उन्होंने हर परिस्थिति में अहिंसा और सत्य का पालन किया और लोगों से भी इनका पालन करने के लिये कहा। उन्होंने अपना जीवन सदाचार में गुजारा। वह सदैव परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनते थे। सदैव शाकाहारी भोजन खाने वाले इस महापुरुष ने आत्मशुद्धि के लिये कई बार लम्बे उपवास भी रक्खे।सन 1915 में भारत वापस आने से पहले गान्धी ने एक प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष किया। भारत आकर उन्होंने समूचे देश का भ्रमण किया और किसानों, मजदूरों और श्रमिकों को भारी भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध संघर्ष करने के लिये एकजुट किया। सन 1921 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभाली और अपने कार्यों से देश के राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित किया। उन्होंने सन 1930 में नमक सत्याग्रह और इसके बाद 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान कई मौकों पर गाँधी जी कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहे।

प्रारंभिक जीवन

मोहनदास करमचन्द गान्धी का जन्म भारत में गुजरात के एक तटीय शहर पोरबंदर में 2 अक्टूबर सन् 1869 को हुआ था। उनके पिता करमचन्द गान्धी ब्रिटिश राज के समय काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत (पोरबंदर) के दीवान थे। मोहनदास की माता पुतलीबाई परनामी वैश्य समुदाय से ताल्लुक रखती थीं और अत्यधिक धार्मिक प्रवित्ति की थीं जिसका प्रभाव युवा मोहनदास पड़ा और इन्ही मूल्यों ने आगे चलकर उनके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। वह नियमित रूप से व्रत रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन-रात एक कर देती थीं। इस प्रकार मोहनदास ने स्वाभाविक रूप से अहिंसा, शाकाहार, आत्मशुद्धि के लिए व्रत और विभिन्न धर्मों और पंथों को मानने वालों के बीच परस्पर सहिष्णुता को अपनाया।सन 1883 में साढे 13 साल की उम्र में ही उनका विवाह 14 साल की कस्तूरबा से करा दिया गया। जब मोहनदास 15 वर्ष के थे तब इनकी पहली सन्तान ने जन्म लिया लेकिन वह केवल कुछ दिन ही जीवित रही। उनके पिता करमचन्द गाँधी भी इसी साल (1885) में चल बसे। बाद में मोहनदास और कस्तूरबा के चार सन्तान हुईं – हरीलाल गान्धी (1888), मणिलाल गान्धी (1892), रामदास गान्धी (1897) और देवदास गांधी (1900)।उनकी मिडिल स्कूल की शिक्षा पोरबंदर में और हाई स्कूल की शिक्षा राजकोट में हुई। शैक्षणिक स्तर पर मोहनदास एक औसत छात्र ही रहे। सन 1887 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा अहमदाबाद से उत्तीर्ण की। इसके बाद मोहनदास ने भावनगर के शामलदास कॉलेज में दाखिला लिया पर ख़राब स्वास्थ्य और गृह वियोग के कारण वह अप्रसन्न ही रहे और कॉलेज छोड़कर पोरबंदर वापस चले गए।

विदेश में शिक्षा और वकालत :

मोहनदास अपने परिवार में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे थे इसलिए उनके परिवार वाले ऐसा मानते थे कि वह अपने पिता और चाचा का उत्तराधिकारी (दीवान) बन सकते थे। उनके एक परिवारक मित्र मावजी दवे ने ऐसी सलाह दी कि एक बार मोहनदास लन्दन से बैरिस्टर बन जाएँ तो उनको आसानी से दीवान की पदवी मिल सकती थी। उनकी माता पुतलीबाई और परिवार के अन्य सदस्यों ने उनके विदेश जाने के विचार का विरोध किया पर मोहनदास के आस्वासन पर राज़ी हो गए। वर्ष 1888 में मोहनदास यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिये इंग्लैंड चले गये। अपने माँ को दिए गए वचन के अनुसार ही उन्होंने लन्दन में अपना वक़्त गुजारा। वहां उन्हें शाकाहारी खाने से सम्बंधित बहुत कठिनाई हुई और शुरूआती दिनो में कई बार भूखे ही रहना पड़ता था। धीरे-धीरे उन्होंने शाकाहारी भोजन वाले रेस्टोरेंट्स के बारे में पता लगा लिया। इसके बाद उन्होंने वेजीटेरियन सोसाइटी की सदस्यता भी ग्रहण कर ली। इस सोसाइटी के कुछ सदस्य थियोसोफिकल सोसाइटी के सदस्य भी थे और उन्होंने मोहनदास को गीता पढने का सुझाव दिया।जून 1891 में गाँधी भारत लौट गए और वहां जाकर उन्हें अपनी मां के मौत के बारे में पता चला। उन्होंने बॉम्बे में वकालत की शुरुआत की पर उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली। इसके बाद वो राजकोट चले गए जहाँ उन्होंने जरूरतमन्दों के लिये मुकदमे की अर्जियाँ लिखने का कार्य शुरू कर दिया परन्तु कुछ समय बाद उन्हें यह काम भी छोड़ना पड़ा।आख़िरकार सन् 1893 में एक भारतीय फर्म से नेटल (दक्षिण अफ्रीका) में एक वर्ष के करार पर वकालत का कार्य स्वीकार कर लिया।

गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका में (1893-1914) :

गाँधी 24 साल की उम्र में दक्षिण अफ्रीका पहुंचे। वह प्रिटोरिया स्थित कुछ भारतीय व्यापारियों के न्यायिक सलाहकार के तौर पर वहां गए थे। उन्होंने अपने जीवन के 21 साल दक्षिण अफ्रीका में बिताये जहाँ उनके राजनैतिक विचार और नेतृत्व कौशल का विकास हुआ। दक्षिण अफ्रीका में उनको गंभीर नस्ली भेदभाव का सामना करना पड़ा। एक बार ट्रेन में प्रथम श्रेणी कोच की वैध टिकट होने के बाद तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने से इन्कार करने के कारण उन्हें ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया। ये सारी घटनाएँ उनके के जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ बन गईं और मौजूदा सामाजिक और राजनैतिक अन्याय के प्रति जागरुकता का कारण बनीं। दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों पर हो रहे अन्याय को देखते हुए उनके मन में ब्रिटिश साम्राज्य के अन्तर्गत भारतियों के सम्मान तथा स्वयं अपनी पहचान से सम्बंधित प्रश्न उठने लगे।दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी ने भारतियों को अपने राजनैतिक और सामाजिक अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने भारतियों की नागरिकता सम्बंधित मुद्दे को भी दक्षिण अफ़्रीकी सरकार के सामने उठाया और सन 1906 के ज़ुलु युद्ध में भारतीयों को भर्ती करने के लिए ब्रिटिश अधिकारियों को सक्रिय रूप से प्रेरित किया। गाँधी के अनुसार अपनी नागरिकता के दावों को कानूनी जामा पहनाने के लिए भारतीयों को ब्रिटिश युद्ध प्रयासों में सहयोग देना चाहिए।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का संघर्ष (1916-1945) :

वर्ष 1914 में गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस लौट आये। इस समय तक गांधी एक राष्ट्रवादी नेता और संयोजक के रूप में प्रतिष्ठित हो चुके थे। वह उदारवादी कांग्रेस नेता गोपाल कृष्ण गोखले के कहने पर भारत आये थे और शुरूआती दौर में गाँधी के विचार बहुत हद तक गोखले के विचारों से प्रभावित थे। प्रारंभ में गाँधी ने देश के विभिन्न भागों का दौरा किया और राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों को समझने की कोशिश की।

चम्पारण और खेड़ा सत्याग्रह :

बिहार के चम्पारण और गुजरात के खेड़ा में हुए आंदोलनों ने गाँधी को भारत में पहली राजनैतिक सफलता दिलाई। चंपारण में ब्रिटिश ज़मींदार किसानों को खाद्य फसलों की बजाए नील की खेती करने के लिए मजबूर करते थे और सस्ते मूल्य पर फसल खरीदते थे जिससे किसानों की स्थिति बदतर होती जा रही थी। इस कारण वे अत्यधिक गरीबी से घिर गए। एक विनाशकारी अकाल के बाद अंग्रेजी सरकार ने दमनकारी कर लगा दिए जिनका बोझ दिन प्रतिदिन बढता ही गया। कुल मिलाकर स्थिति बहुत निराशाजनक थी। गांधीजी ने गांधी जी ने जमींदारों के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन और हड़तालों का नेतृत्व किया जिसके बाद गरीब और किसानों की मांगों को माना गया।सन 1918 में गुजरात स्थित खेड़ा बाढ़ और सूखे की चपेट में आ गया था जिसके कारण किसान और गरीबों की स्थिति बद्तर हो गयी और लोग कर माफ़ी की मांग करने लगे। खेड़ा में गाँधी जी के मार्गदर्शन में सरदार पटेल ने अंग्रेजों के साथ इस समस्या पर विचार विमर्श के लिए किसानों का नेतृत्व किया। इसके बाद अंग्रेजों ने राजस्व संग्रहण से मुक्ति देकर सभी कैदियों को रिहा कर दिया। इस प्रकार चंपारण और खेड़ा के बाद गांधी की ख्याति देश भर में फैल गई और वह स्वतंत्रता आन्दोलन के एक महत्वपूर्ण नेता बनकर उभरे।

खिलाफत आन्दोलन :

कांग्रेस के अन्दर और मुस्लिमों के बीच अपनी लोकप्रियता बढ़ाने का मौका गाँधी जी को खिलाफत आन्दोलन के जरिये मिला। खिलाफत एक विश्वव्यापी आन्दोलन था जिसके द्वारा खलीफा के गिरते प्रभुत्व का विरोध सारी दुनिया के मुसलमानों द्वारा किया जा रहा था। प्रथम विश्व युद्ध में पराजित होने के बाद ओटोमन साम्राज्य विखंडित कर दिया गया था जिसके कारण मुसलमानों को अपने धर्म और धार्मिक स्थलों के सुरक्षा को लेकर चिंता बनी हुई थी। भारत में खिलाफत का नेतृत्व आल इंडिया मुस्लिम कांफ्रेंस द्वारा किया जा रहा था। धीरे-धीरे गाँधी इसके मुख्य प्रवक्ता बन गए। भारतीय मुसलमानों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए उन्होंने अंग्रेजों द्वारा दिए सम्मान और मैडल वापस कर दिया। इसके बाद गाँधी न सिर्फ कांग्रेस बल्कि देश के एकमात्र ऐसे नेता बन गए जिसका प्रभाव विभिन्न समुदायों के लोगों पर था।

असहयोग आन्दोलन :

गाँधी जी का मानना था की भारत में अंग्रेजी हुकुमत भारतियों के सहयोग से ही संभव हो पाई थी और अगर हम सब मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ हर बात पर असहयोग करें तो आजादी संभव है। गाँधी जी की बढती लोकप्रियता ने उन्हें कांग्रेस का सबसे बड़ा नेता बना दिया था और अब वह इस स्थिति में थे कि अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग, अहिंसा तथा शांतिपूर्ण प्रतिकार जैसे अस्त्रों का प्रयोग कर सकें। इसी बीच जलियावांला नरसंहार ने देश को भारी आघात पहुंचाया जिससे जनता में क्रोध और हिंसा की ज्वाला भड़क उठी थी।गांधी जी ने स्वदेशी नीति का आह्वान किया जिसमें विदेशी वस्तुओं विशेषकर अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करना था। उनका कहना था कि सभी भारतीय अंग्रेजों द्वारा बनाए वस्त्रों की अपेक्षा हमारे अपने लोगों द्वारा हाथ से बनाई गई खादी पहनें। उन्होंने पुरूषों और महिलाओं को प्रतिदिन सूत कातने के लिए कहा। इसके अलावा महात्मा गाँधी ने ब्रिटेन की शैक्षिक संस्थाओं और अदालतों का बहिष्कार, सरकारी नौकरियों को छोड़ने तथा अंग्रेजी सरकार से मिले तमगों और सम्मान को वापस लौटाने का भी अनुरोध किया।असहयोग आन्दोलन को अपार सफलता मिल रही थी जिससे समाज के सभी वर्गों में जोश और भागीदारी बढ गई लेकिन फरवरी 1922 में इसका अंत चौरी-चौरा कांड के साथ हो गया। इस हिंसक घटना के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया। उन्हें गिरफ्तार कर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया जिसमें उन्हें छह साल कैद की सजा सुनाई गयी। ख़राब स्वास्थ्य के चलते उन्हें फरवरी 1924 में सरकार ने रिहा कर दिया।

स्वराज और नमक सत्याग्रह :

असहयोग आन्दोलन के दौरान गिरफ़्तारी के बाद गांधी जी फरवरी 1924 में रिहा हुए और सन 1928 तक सक्रिय राजनीति से दूर ही रहे। इस दौरान वह स्वराज पार्टी और कांग्रेस के बीच मनमुटाव को कम करने में लगे रहे और इसके अतिरिक्त अस्पृश्यता, शराब, अज्ञानता और गरीबी के खिलाफ भी लड़ते रहे।इसी समय अंग्रेजी सरकार ने सर जॉन साइमन के नेतृत्व में भारत के लिए एक नया संवेधानिक सुधार आयोग बनाया पर उसका एक भी सदस्य भारतीय नहीं था जिसके कारण भारतीय राजनैतिक दलों ने इसका बहिष्कार किया। इसके पश्चात दिसम्बर 1928 के कलकत्ता अधिवेशन में गांधी जी ने अंग्रेजी हुकुमत को भारतीय साम्राज्य को सत्ता प्रदान करने के लिए कहा और ऐसा न करने पर देश की आजादी के लिए असहयोग आंदोलन का सामना करने के लिए तैयार रहने के लिए भी कहा। अंग्रेजों द्वारा कोई जवाब नहीं मिलने पर 31 दिसम्बर 1929 को लाहौर में भारत का झंडा फहराया गया और कांग्रेस ने 26 जनवरी 1930 का दिन भारतीय स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया। इसके पश्चात गांधी जी ने सरकार द्वारा नमक पर कर लगाए जाने के विरोध में नमक सत्याग्रह चलाया जिसके अंतर्गत उन्होंने 12 मार्च से 6 अप्रेल तक अहमदाबाद से दांडी, गुजरात, तक लगभग 388 किलोमीटर की यात्रा की। इस यात्रा का उद्देश्य स्वयं नमक उत्पन्न करना था। इस यात्रा में हजारों की संख्‍या में भारतीयों ने भाग लिया और अंग्रेजी सरकार को विचलित करने में सफल रहे। इस दौरान सरकार ने लगभग 60 हज़ार से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा।इसके बाद लार्ड इरविन के प्रतिनिधित्व वाली सरकार ने गांधी जी के साथ विचार-विमर्श करने का निर्णय लिया जिसके फलस्वरूप गांधी-इरविन संधि पर मार्च 1931 में हस्ताक्षर हुए। गांधी-इरविन संधि के तहत ब्रिटिश सरकार ने सभी राजनैतिक कैदियों को रिहा करने के लिए सहमति दे दी। इस समझौते के परिणामस्वरूप गांधी कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया परन्तु यह सम्मेलन कांग्रेस और दूसरे राष्ट्रवादियों के लिए घोर निराशाजनक रहा। इसके बाद गांधी फिर से गिरफ्तार कर लिए गए और सरकार ने राष्ट्रवादी आन्दोलन को कुचलने की कोशिश की।1934 में गांधी ने कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया। उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों के स्थान पर अब रचनात्मक कार्यक्रमों के माध्यम से सबसे निचले स्तर से राष्ट्र के निर्माण पर अपना ध्यान लगाया। उन्होंने ग्रामीण भारत को शिक्षित करने, छुआछूत के ख़िलाफ़ आन्दोलन जारी रखने, कताई, बुनाई और अन्य कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने और लोगों की आवश्यकताओं के अनुकूल शिक्षा प्रणाली बनाने का काम शुरू किया।

हरिजन आंदोलन :

दलित नेता बी आर अम्बेडकर की कोशिशों के परिणामस्वरूप अँगरेज़ सरकार ने अछूतों के लिए एक नए संविधान के अंतर्गत पृथक निर्वाचन मंजूर कर दिया था। येरवडा जेल में बंद गांधीजी ने इसके विरोध में सितंबर 1932 में छ: दिन का उपवास किया और सरकार को एक समान व्यवस्था (पूना पैक्ट) अपनाने पर मजबूर किया। अछूतों के जीवन को सुधारने के लिए गांधी जी द्वारा चलाए गए अभियान की यह शुरूआत थी। 8 मई 1933 को गांधी जी ने आत्म-शुद्धि के लिए 21 दिन का उपवास किया और हरिजन आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए एक-वर्षीय अभियान की शुरुआत की। अमबेडकर जैसे दलित नेता इस आन्दोलन से प्रसन्न नहीं थे और गांधी जी द्वारा दलितों के लिए हरिजन शब्द का उपयोग करने की निंदा की।द्वितीय विश्व युद्ध और भारत छोड़ो आन्दोलन :द्वितीय विश्व युद्ध के आरंभ में गांधी जी अंग्रेजों को अहिंसात्मक नैतिक सहयोग देने के पक्षधर थे परन्तु कांग्रेस के बहुत से नेता इस बात से नाखुश थे कि जनता के प्रतिनिधियों के परामर्श लिए बिना ही सरकार ने देश को युद्ध में झोंक दिया था। गांधी ने घोषणा की कि एक तरफ भारत को आजादी देने से इंकार किया जा रहा था और दूसरी तरफ लोकतांत्रिक शक्तियों की जीत के लिए भारत को युद्ध में शामिल किया जा रहा था। जैसे-जैसे युद्ध बढता गया गांधी जी और कांग्रेस ने भारत छोड़ो” आन्दोलन की मांग को तीव्र कर दिया।भारत छोड़ो स्वतंत्रता आन्दोलन के संघर्ष का सर्वाधिक शक्तिशाली आंदोलन बन गया जिसमें व्यापक हिंसा और गिरफ्तारी हुई। इस संघर्ष में हजारों की संख्‍या में स्वतंत्रता सेनानी या तो मारे गए या घायल हो गए और हजारों गिरफ्तार भी कर लिए गए। गांधी जी ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह ब्रिटिश युद्ध प्रयासों को समर्थन तब तक नहीं देंगे जब तक भारत को तत्‍काल आजादी न दे दी जाए। उन्होंने यह भी कह दिया था कि व्यक्तिगत हिंसा के बावजूद यह आन्दोलन बन्द नहीं होगा। उनका मानना था की देश में व्याप्त सरकारी अराजकता असली अराजकता से भी खतरनाक है। गाँधी जी ने सभी कांग्रेसियों और भारतीयों को अहिंसा के साथ करो या मरो (डू ऑर डाय) के साथ अनुशासन बनाए रखने को कहा।जैसा कि सबको अनुमान था अंग्रेजी सरकार ने गांधी जी और कांग्रेस कार्यकारणी समिति के सभी सदस्यों को मुबंई में 9 अगस्त 1942 को गिरफ्तार कर लिया और गांधी जी को पुणे के आंगा खां महल ले जाया गया जहाँ उन्हें दो साल तक बंदी बनाकर रखा गया। इसी दौरान उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी का देहांत बाद 22 फरवरी 1944 को हो गया और कुछ समय बाद गांधी जी भी मलेरिया से पीड़ित हो गए। अंग्रेज़ उन्हें इस हालत में जेल में नहीं छोड़ सकते थे इसलिए जरूरी उपचार के लिए 6 मई 1944 को उन्हें रिहा कर दिया गया। आशिंक सफलता के बावजूद भारत छोड़ो आंदोलन ने भारत को संगठित कर दिया और द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक ब्रिटिश सरकार ने स्पष्ट संकेत दे दिया था की जल्द ही सत्ता भारतीयों के हाँथ सौंप दी जाएगी। गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन समाप्त कर दिया और सरकार ने लगभग 1 लाख राजनैतिक कैदियों को रिहा कर दिया।

देश का विभाजन और आजादी :

द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्त होते-होते ब्रिटिश सरकार ने देश को आज़ाद करने का संकेत दे दिया था। भारत की आजादी के आन्दोलन के साथ-साथ, जिन्ना के नेतृत्व में एक अलग मुसलमान बाहुल्य देश (पाकिस्तान) की भी मांग तीव्र हो गयी थी और 40 के दशक में इन ताकतों ने एक अलग राष्ट्र पाकिस्तान की मांग को वास्तविकता में बदल दिया था। गाँधी जी देश का बंटवारा नहीं चाहते थे क्योंकि यह उनके धार्मिक एकता के सिद्धांत से बिलकुल अलग था पर ऐसा हो न पाया और अंग्रेजों ने देश को दो टुकड़ों – भारत और पाकिस्तान – में विभाजित कर दिया।

गाँधी जी की हत्या :

30 जनवरी 1948 को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की दिल्ली के बिरला हाउस में शाम 5:17 पर हत्या कर दी गयी। गाँधी जी एक प्रार्थना सभा को संबोधित करने जा रहे थे जब उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे ने उबके सीने में 3 गोलियां दाग दी। ऐसे माना जाता है की हे राम उनके मुख से निकले अंतिम शब्द थे। नाथूराम गोडसे और उसके सहयोगी पर मुकदमा चलाया गया और 1949 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गयी।

Tags: ActorsArtistsAruna Asif AliAurobindo GhoseBaal Gangadhar TilakBhagat SinghBheem Raav AmbedkarBhikaji KhamaBhula Bhai DesaiBidhan Chandra RaoBiographiesBipin Chandra PaulChakravorty raj gopalachariChandra Shekhar AazadChankyaEntrepreneursFreedom FighterGanesh Shanker VidharthiGopinath BordoloiGuljari Laal NandaHaqeem Ajmal KhanHumanitariansInspirational peopleJawahar Lal NehruJay Prakash NarayanKamla Devi ChattopadhayKamla NehruKasturba GandhiLala Lajpat RaiMadan Mohan MalviyaMahatma GandhiMilitaryMorar ji desaiMusiciansPoetsPoliticiansPraful Chadra RaiPurshotam Daad TandonRaja RamannaRajendra PrasadRajiv GandhiRam Manohar LohiyaRam Prasad BismilReligious leadersRjakumari Amrit KaurRoyaltyScientistsShyamji Krishan VermaSocialistSportSubhash Chandra BoshSucheta KriplaniSurendra Nath BanerjiVinayak Damodar SaavarkarVithal Bhai PatelWriters
Previous Post

बाल गंगाधर तिलक

Next Post

सरदार वल्लभ भाई पटेल

Related Posts

मंगल पांडे
Biographies

मंगल पांडे

khudi raam bose
Biographies

खुदीराम बोस

हकीम अजमल खान
Biographies

हकीम अजमल खान

vidhaan chandra raai
Awards

बिधान चंद्र रॉय

रानी गाइदिनल्यू
Awards

रानी गाइदिनल्यू

विनोबा भावे
Biographies

विनोबा भावे

Next Post
sardar vallabhbhai patel

सरदार वल्लभ भाई पटेल

Monuments Of India

कुछ प्रसिद्ध भारतीय स्मारक

ताजमहल

ताजमहल

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • Trending
  • Comments
  • Latest
islam

Islam

ब्लड डोनेशन रक्त दान

रक्त दान से संबंधित चिकित्सा विज्ञान की महत्वपूर्ण जानकारी

Confucianism

Confucianism

तिल के सेवन के फायदे हिंदी में

तिल के सेवन के फायदे हिंदी में

Christianity

Christianity

0

Vice Presidents of India

0
Prime Ministers Of India

Prime Ministers of India

0

Chief Justices of India

0
Christianity

Christianity

Confucianism

Confucianism

islam

Islam

Judaism

Judaism

Recent Post

Christianity

Christianity

Confucianism

Confucianism

islam

Islam

Judaism

Judaism

KYC

We bring you the best Premium WordPress Themes that perfect for news, magazine, personal blog, etc. Check our landing page for details.

Follow Us

Browse by Category

  • Ancient History
  • Artists
  • Arts & Literature
  • Awards
  • Bharat Ratna
  • Biographies
  • Buddhism
  • Chief Election Commissioners of India
  • Chief Justices of India
  • Chiefs of Air Staff
  • Chiefs of Army Staff
  • Chiefs of Naval Staff
  • Christianity
  • Civilian Awards
  • Commanders In Chief
  • Confucianism
  • Country Information
  • Culture & Heritage
  • Districts
  • Freedom Fighter
  • Freedom Struggle
  • Gallantry Awards
  • Geography
  • Health
  • Hinduism
  • History
  • Humanitarians
  • Indian Rivers
  • Inspirational people
  • Islam
  • Judaism
  • Lifestyle
  • Medieval History
  • Monuments
  • National Identity
  • Padma Bhushan
  • Padma Vibhushan
  • Poets
  • Politicians
  • Population
  • Presidents of India
  • Prime Ministers of India
  • Profile
  • Religion
  • Religious leaders
  • Royalty
  • Sangeet Natak Academy
  • Scientists
  • Socialist
  • States & UTs
  • Taoism
  • Vice-Presidents of India
  • Writers

Recent News

Christianity

Christianity

Confucianism

Confucianism

  • Awards
  • Country Information
  • Culture & Heritage
  • Geography
  • History
  • National Identity
  • Religion

© 2021

No Result
View All Result
  • Awards
    • Bharat Ratna
    • Civilian Awards
      • Padma Bhushan
      • Padma Shri
      • Padma Vibhushan
    • Gallantry Awards
    • Nobel Laureates
    • Sahitya Akademi Awards
    • Sangeet Natak Academy
  • Country Information
    • Chief Election Commissioners of India
    • Chief Justices of India
    • Chiefs of Air Staff
    • Chiefs of Army Staff
    • Chiefs of Naval Staff
    • Commanders In Chief
    • Economy
    • Presidents of India
    • Prime Ministers of India
    • Vice-Presidents of India
  • Culture & Heritage
    • Arts & Literature
    • Languages
    • Festivals
    • Religion
    • Monuments
    • National Holidays
  • History
    • Ancient History
    • Freedom Struggle
    • Medieval History
  • Geography
    • Indian Rivers
    • States & UTs
    • Districts
    • Roads
  • Biographies
    • Actors
    • Artists
    • Entrepreneurs
    • Humanitarians
    • Inspirational people
    • Military
    • Musicians
    • Poets
    • Politicians
    • Religious leaders
    • Royalty

© 2021

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In
Shares